हिंदी दिवस पर आज अनायास ही पापा के सहयोगी डॉ शेरजंग गर्ग की याद आ गयी. वह भेल (BHEL) में हिंदी अधिकारी थे और जाने माने कवि भी थे. पापा पर उनका विशेष अनुराग था क्यूँकि वह उनकी कविताओं के प्रशंसक रहे हों शायद…
समय ने करवट ली और डॉ गर्ग मेरे सहयोगी बन गए पर वह मुझे हमेशा अपनी बेटी ही मानते रहे.
पहली बार उन्होंने भेल (BHEL)में हिंदी दिवस का आयोजन किया, यह शायद अस्सी के दशक के अंत की बात है. इस आयोजन में मुझे भी शामिल किया गया, जो की मेरे लिए बड़े गौरव की बात थी. इसमें अनिता दी मेरी मार्ग दर्शक बनी और हिंदी हस्ताक्षर की विजेता भी. अनिता दी और नरेश खन्ना जी, शायद आपको याद हो.
इस दिन हिंदी हस्ताक्षर अभियान चलाया गया, सबसे, सब कागज़ों पर हिंदी में हस्ताक्षर करने को कहा गया और सबसे सुन्दर हस्ताक्षर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमे सबने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. सबसे सिर्फ हिंदी में बात करने के लिए कहा गया, जिसका पालन शायद सबने किया हो.
शाम की चाय ऑफिस में किसी समारोह से काम नहीं होती थी, और फिर आज तो हिंदी दिवस समारोह था…तो हिंदी कविता पाठ का आयोजन किया गया. अब सब लोग एक्शन में आ गए, कुछ ने मशहूर कवियों की कविताएं सुनाई, कुछ ने अपनी लिखी और कुछ ने बढ़िया तुक बंदी भी की.
मैंने भी सुनायी और प्रशंसा भी पायी. तब से हिंदी कविता पढ़ना मेरे जीवन का अभिन्न अंग बन गया हो शायद…
हिंदी की सुंदरता पर चार लाइना:
हिंदी भाषा सबसे सुन्दर,
सुन्दर हिंदी का आलेख,
सुन्दर हिंदी में बोल चाल,
सुन्दर इसकी कहावतें
हिंदी दिवस की अनेकों शुभकामनायें
Good