Sari & Shayari, Shayari & life!

“अल्फ़ाज़ ऐसे जो दिलों में आशियाँ बना ले, वही शायरी है।”

“अपने जज़्बात को अल्फ़ाज़ में तब्दील करना ही शायरी है।”

“अपनी ज़िन्दगी रूपी यात्रा में जो लम्हे छाप छोड़ जाते हैं और हमारे ज़हन में अटक जाते हैं, और समय समय पर ग़ुबार बनके निकलते हैं वही शायरी है.

हम बेहद खुशनसीब हैं की भारत भूमि पर ऐसे अज़ीम शायरों का जन्म हुआ, जिन्होंने अपने सुन्दर कलाम से इस धरती को नवाज़ा जैसे अहमद फ़राज़, मीर तक़ी मीर, अली सरदार जाफरी, कैफ़ी आज़मी, जावेद अख्तर, फैज़ अहमद फैज़, निदा फ़ाज़ली, शहरयार और मिर्ज़ा ग़ालिब! यूँ तो सभी शायर एक से बढ़कर एक हैं पर मिर्ज़ा ग़ालिब का रुतबा  जुदा है जिन्होंने अपने सहज, सरल और सुन्दर शेरो से बड़ी से बड़ी बातें कह डालीं. मैंने जबसे शायरी समझनी शुरू की है मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी हमेशा साथ रही.

उनकी अदायगी भी और शायरी भी लाजवाब…खुद उन्ही के शब्दों में पढ़िए …

“हैं और भी दुनिया में सुखन्वर बहुत अच्छे, कहते हैं कि गालिब का है अन्दाज-ए-बयां और”.

ग़ालिब का सबसे पसंदीदा शेर जो की हम बहुत से लोगों के जीवन की सच्चाई है:

“हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी, के हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले”

जब साडी क्लब ने साडी और शायरी का थीम दिया तो मैं अपने को रोक नहीं पायी …
देखीये क्या तारतम्य हो सकता है इन दोनों में…

साडी और शायरी के तारतम्य पर मेरी शायरी:

मुझे नहीं मालूम!

साडी और शायरी का क्या नाता,

अगर होता तो बहुत ही नायाब होता,

शायरी, हमारे ख्यालों का दर्पण है, तो

साडी हमारी सुंदरता का आवरण है.   

शायरी सुन्दर हर्फों का जाल है, तो

साडी स्त्री की पहचान का पर्याय है.

ऐसा तारतम्य क्या सचमुच होता

मुझे नहीं मालूम!

जीवन में महत्वपूर्ण क्या होता है?

वक़्त और समय बदलने के साथ-साथ जरूरतें बदलती है और जरूरते ही तय करती है कि जीवन में महत्वपूर्ण क्या है. बचपन में एक बच्चे के लिए महत्पूर्ण उसके खिलौने, टॉफ़ी, दोस्तों होते है. जब हम युवा होते हैं, तब सफलता हमारे लिए महत्वपूर्ण होती है. जब सफल हो जाते हैं और उम्र बढ़ती है, तब मशहूर होना चाहते हैं, जब मशहूर हो जाते है तो सुकून चाहते हैं. और जब मौत के द्वार पर खड़े होते हैं तो ईश्वर को देखना चाहते हैं या मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं.

अपनी ज़िन्दगी रूपी यात्रा में जो लम्हे छाप छोड़ जाते हैं और हमारे ज़हन में अटक जाते हैं, और समय समय पर ग़ुबार बनके निकलते हैं वही शायरी है.  

तुम शायरी की बात करते हो

मैं तो बातें भी कमाल की करती हूँ…

ऐसा मैं नहीं कुछ लोग कहते हैं …

पेशे खिदमत आपके लिए यह नज़्म

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